गाँवों में रहता भारत है.. ..
तुफानो से लड़ता किसान, हथेली पे लेके अपनी जान
हम जवानो के दिलों में पलता भारत है..
गाँवों में रहता भारत है.. ..
गाँवों में रहता भारत है.. ..||
शाम के वीरानों में, गरीबों की टूटी मकानों में,
नंगे -भूखे बच्चों की, बचपन में पलता भारत है..
गाँवों में रहता भारत है.. ..
गाँवों में रहता भारत है.. ..||
गर्मी की सुबहों और दोपहर की धूपों के जले थपेड़ों में,
किसानो के नंगे परों, KE SANG पलता भारत है..
गाँवों में रहता भारत है.. ..
गाँवों में रहता भारत है.. ..||
दिनरात परिश्रम करते किसानो के भीगे पसीनो में...
माताओं की खाली झोली में, पलता भारत है..
गाँवों में रहता भारत है.. ..
गाँवों में रहता भारत है.. ..||
:- अंतुले
ANTULESHYAM@GMAIL.COM
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