29 January 2011



दूर समन्दर, घर अम्बर का
दूर दूर तक नीला -पीला
कल देखा तो सोचा मैंने
कहाँ कहाँ रहता इन्सान


पहाड़ों की ऊँची चडान
दूर दूर तक सुनसान
कल देखा तो सोचा मैंने
क्यूँ यहाँ रहता इन्सान

जल का अविरल स्वछंद बहाव
जीवों का था पूरा खान
कल देखा तो सोचा मैंने
काश ! यहाँ होता इन्सान

28 January 2011


दिल करता है..
बच्चों संग बच्चा बन जाऊ

खेलूं कुदू धूम मचाऊ
बड़ो बड़ो को रोज नचाऊ
सपाट भागूं , हाथ ना आउ..
बच्चों संग बच्चा बन जाऊ
दिल करता है..
बच्चों संग बच्चा बन जाऊ. ...

स्कूल बंद हो गया है मेरा ..
दिन भर दादा के संग गाऊ
मास्टर के संग हाथ मिलाऊ.
बच्चों संग बच्चा बन जाऊ.
दिल करता है..
बच्चों संग बच्चा बन जाऊ... .



.

19 January 2011



सोचता हूँ रोज आखिर जिन्दगी से कभी मुलाकात करूं
रोते बच्चों से बात करूं रोती ममता से बात करूं ...

जब सारा शहर सो जाता है पत्ते तक सो जाते हैं
ठंठ की उन रातों में जगते नैनो से बात करूं
उम्र तमाम गुजरी जिनकी गरीबी में
उन गरीबों से कभी बात करूं
सोचता हूँ रोज आखिर जिन्दगी से कभी मुलाकात करूं ...

हम भारत के रहने वाले, मिट्टी में पलने वाले
रोज उगते सूरज को नमन करने वाले
कभी सोचें फुर्सत में क्या हालत है
सोच सोच के बात करूं
सोचता हूँ रोज आखिर जिन्दगी से कभी मुलाकात करूं ...

सोचता हूँ रोज आखिर जिन्दगी से कभी मुलाकात करूं
रोते बच्चों से बात करूं रोती ममता से बात करूं .....

18 January 2011



आज आसमा का खयाल आया
तो सोचा... ...
एक छाता सा दिखता है ये
निश्छल सा रहता है ये
हम सबको छत देता है ये
निश्छल सा रहता है ये... ...

दूर गगन मे दूर किरन मे
आभा सा दिखता है ये
बेघर को छत दे के भी
निश्छल सा रहता है ये... ...

देखो देखो दूर गगन मे
आसमा का खेल निराला
हम सबको दे छाव पेड सा
निश्चल सा रहता है ये... ..

15 January 2011



जिन्दगी...
जिन्दगी सुबह उठःती है बिस्तर से

aankh मिजते हुये... ... , बिस्तर समेटते हुये ... ...
नयी सुबह के सुरज को... ... नजदीक से देखते हुये ... ...
जिन्दगी सुबह उठःती है बिस्तर से

मा-बाप हिलाते हैं हाथ.. ... बच्चो को विदा करते हुये... ...
शाम तक सही सलामत... ... वापसी की दुआ करते हुये...
जिन्दगी सुबह उठःती है बिस्तर से....
aankh मिजते हुये... ... , बिस्तर समेटते हुये .

13 January 2011


jindgi subah uthti hai bistar se.....
aankh mijate huye...bistar sameteate huye..
nyi subah ke suraj ko ... najdik se dekhte huye...
subah uthti hai bistar se.....
sham tak shi salamat... rahne ki dua karte huye...
maa-bap hilate hain hath ...bete betiyon ko bye bye kahte huye...
subah uthti hai bistar se.....

09 January 2011


आज की बात नही, बात कल की है ...
दोस्त बनते हैं मिलते हैं बीछडतें भी हैं..
एक कारवां था मेरा बचपन में ,
हम्उम्र दोस्तों के साथ
ये .आज की बात नही, बात कल की है ...
कल कुछ दोस्तों का साथ छुट गया
आज कोई और नया दोस्त बन गया
कल क्या पता..?
ये बात कल की है .
आज की बात नही, बात कल की है .....

07 January 2011

आज बात खुद की


आज बात खुद की तो, जिन्दगी का रंग नुमाया हो गया |
दौलत न थी मेरे पास तो, अपना ही पराया हो गया ||

कल रात आइना जो देखा तो, एक धुंधली तस्वीर सी दिखाई दी |
आज महफ़िल में गया तो, हकीकत सी दिखाई दी ||

क्या पता मुझे जो, शर्गोशियाँ होती थी मेरे जेहन में ,
जमाने को मेरे खूने-अश्क में भी ,अय्याशियाँ दिखाई दी||

हकीकत कुछ और थी, फसाना कुछ और था ,
रिश्तों की जंग में ,लहू का रंग कुछ और था |

जब बात खुद के लहू की ,हुयी तो पता चला ,
नकाब कुछ और था ,लहू कुछ और था ....||||

जिन्दगी कट रही है. किसी पेड़ की उस शाख

जिन्दगी कट रही है.

किसी पेड़ की उस शाख की तरह जो जड़ से कट गयी है... ... ..

रात होती है,

लेकिन बीतती है किसी अनाथ बच्चे की तरह ... ... .

जिन्दगी कट रही है.

किसी पेड़ की उस शाख की तरह जो जड़ से कट गयी है... ... ..

सुबह भी होती है यहाँ पे ..

लेकिन आशा की किरण कोशों दूर होती है .. .....

जिन्दगी कट रही है.

किसी पेड़ की उस शाख की तरह जो जड़ से कट गयी है... ... ..

तने को जब लगती है चोट ...

वो आता है जड़ के समीप , और लगता है सब दुःख दर्द कट गया है ..

लेकिन जब एक टूटी हुई पत्ती पहुचती है तने के पास ... ..

लेने को दो शांस.. ...

तना होता है ..पत्ती भी होती है..

लेकिन .... ...??????

पत्ती तने को छु नही सकती ...

क्यूंकि.. . ..

तने के बिन पत्ती ...पत्ती हो नही सकती... ..?????

जिन्दगी कट रही है.

किसी पेड़ की उस शाख की तरह जो जड़ से कट गयी है... ...